Posts tagged ‘रोमांटिक रचनाएं’

तूने आने में की जो देरी तो….(नई रिकार्डिंग)

आज अपने जन्मदिन पर मैं सभी मित्रों को आने का निमंत्रण दे रहां हूँ | अगर…….( शेष YOUTUBE पर सुनिए..) 
तूने आने में की जो देरी तो।
याद आने लगेगी तेरी तो।

मैं इल्जाम तुम्हें ही दूंगा,
मेरी दुनिया हुई अंधेरी तो।

ढूंढता हूँ तुझे मंजिल-मंजिल,
ख़त्म होगी कभी ये फेरी तो।

करूँगा और इन्तज़ार अगर,
जान जाने लगेगी मेरी तो।

आप कहते हैं हमसे ग़ज़ल छेड़िए

मैंने यह रचना ऐसे समय के लिए लिखा है जब गायक से किसी ग़ज़ल की फ़रमाइश हो रही है किन्तु वह दुखी है……उसके मन की व्यथा इस रचना में आप यहाँ पढ़िए और YOUTUBE पर सुनिए…..

आप कहते हैं हमसे ग़ज़ल छेड़िए, कब तलक हम ग़ज़ल यूं सुनाते रहें |
अपने खोए हुए यार की याद से, कब तलक गम की शम्मा जलाते रहें |

ज़िंदगी ने हसीं हमको धोखा दिया,
पहले हमको मुहब्बत का मौका दिया,
फिर जुदाई की तनहाइयां आ गयीं, जिनको हम महफ़िलों में छुपाते रहे……

मेरे दिल में है गम चेहरे पे हँसी,
आप समझेंगे क्या मेरी ये बेबसी,
आप समझेंगे इसको भी मेरी अदा, गाते-गाते जो हम मुस्कुराते रहे…..

हर्फ़ अश्कों के हैं सुर मेरी आह के,
आप कैसे सुनेंगे इन्हें चाह से,
रो पड़ा गाते-गाते आप क्या जाने क्यों, आप तो तालियाँ बस बजाते रहे…..

आओ देखें मुहब्बत का सपना (एक प्यार भरा नगमा)

आप सभी के लिए दीपावली के अवसर पर एक प्यार भरा गीत हम दोनों पति-पत्नी प्रस्तुत कर रहे हैं……आशा है आप इसे सुनकर टिप्पणियों के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त करेंगें……

आओ देखें मुहब्बत का सपना |
एक डोर में बंधेंगें, प्यार हम-तुम करेंगें, एक छोटा-सा घर होगा अपना |

चाँदनी रात में छत पे सोये हुए,
एक दूजे की बाँहों में खोये हुए,
आँखों की पुतलियों की हसीं झील में,
अपनी परछाईयों को डुबोए हुए,
मीठी बातें करेंगें, मुलाकातें करेंगें,
पूरा होगा शब-ए-फुरकत का सपना…….आओ देखें मुहब्बत का सपना |

मिले ऐसे कि हम कभी बिछड़े नहीं,
बने तस्वीर ऐसे की बिगड़े नहीं,
प्यार से प्यार की है ये बगिया खिली,
प्यार का चमन कहीं उजड़े नहीं,
और क्या हम करेंगें, ये दुआ हम करेंगें,
कभी पड़े ना बिछड़ कर तड़पना……..आओ देखें मुहब्बत का सपना |

आप सभी को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनायें……
कृपया आप मेरी बेटी का नया गीत सुनने का कष्ट करें…धीरे-धीरे से मेरी ज़िन्दगी में आना  

तूने आने में की जो देरी तो

दोस्तों! आज एक रोमांटिक रचना के साथ प्रस्तुत हूँ। यह रचना साहित्यिक नहीं है बल्कि एक साधारण रचना है जो संगीत के साथ ही अच्छी लगेगी। आशा है हमेशा की तरह आप इसे भी जरूर पसन्द करेंगे…

              अगर ऊपर यू ट्यूब में कोई समस्या हो तो इस रिकार्डिंग को आप यहाँ भी देख और सुन सकते हैं…
                                http://www.youtube.com/watch?v=bS5sHa4-rDg&feature=plcp

                           तूने आने में की जो देरी तो।
                           याद आने लगेगी तेरी तो।

                           मैं इल्जाम तुम्हें ही दूंगा,
                           मेरी दुनिया हुई अंधेरी तो।

                            ढूंढता हूँ तुझे मंजिल-मंजिल,
                            ख़त्म होगी कभी ये फेरी तो।

                            करूँगा और इन्तज़ार अगर,
                            जान जाने लगेगी मेरी तो।
 आजकल फ़ायर फ़ाक्स में यू-ट्यूब काम नहीं कर रहा, इसलिये आप से ये अनुरोध है की आप इसे गूगल क्रोम में देखने का कष्ट करें….

नाराज़गी भी है तुमसे

         सभी दोस्तों को नमस्कार ! लीजिए आज पुनः एक रचना अपनी आवाज़ में प्रस्तुत कर रहा हूँ। हालांकि ये किसी स्टूडियो की रिकार्डिंग नही हैं और इसमें गायन, वादन और रिर्कार्डिंग एक साथ हुई है जैसे पुरानी फिल्मों में सारा काम एक साथ होता था, फिर भी  आशा है आप को ये पसन्द आयेगी…ये मेरी रचना इसी ब्लाग में आप को पूर्व प्रकाशित मिलेगी। यहाँ केवल तीन अन्तरे ही हैं…

              अगर ऊपर यू ट्यूब में कोई समस्या हो तो इस रिकार्डिंग को आप यहाँ भी सुन सकते हैं…
                                    http://www.divshare.com/download/17669250-ad9 
                                                                      OR
                                    http://www.youtube.com/watch?v=FscljyX0bKw&feature=plcp
 आजकल फ़ायर फ़ाक्स में यू-ट्यूब काम नहीं कर रहा, इसलिये आप से ये अनुरोध है की आप इसे गूगल क्रोम में देखने का कष्ट करें….
             
धीरेन्द्र जी की इच्छा है कि मैं आवाज़ के साथ-साथ वह रचना भी पोस्ट कर दूँ…तो लीजिए प्रस्तुत है गाई हुई उक्त रचना…
 नाराजगी भी है तुमसे प्यार भी तो है ।
दिल तोड़ने वाले तू मेरा यार भी तो है ।

मुझे बेकरार कर गयी है ये तेरी बेरुखी,
और उसपे सितम ये तू ही करार भी तो है।

जब चाहता हूँ इतना तो क्यों ख़फ़ा न होऊं,
तेरे बिना मेरा जीना दुश्वार भी तो है ।

तुमसे ही मेरी जिन्दगी वीरान हुई है,
तुमसे ही जिन्दगी ये खुशगवार भी तो है।

दोनों के लुत्फ़ हैं यहां इस एक इश्क में,
कुछ जीत भी है इश्क में कुछ हार भी तो है।

वैसे तो मेरा दिल जरूर तुमसे ख़फ़ा है,
तुमको ही ढूंढता ये बार बार भी तो है ।

अब सोच रहा हूँ अपनी नई रचनायें भी ऐसे ही पोस्ट करूँ… आप का क्या ख़याल है….

ना कभी ऐसी कयामत करना

 प्रस्तुत है एक ग़ज़ल जो आशा है कि आप को अवश्य पसन्द आयेगी :-

ना कभी ऐसी कयामत करना।
यार बनकर तू दगा मत करना।

जब यकीं तुमपे कोई भी कर ले,
ना अमानत में ख़यानत करना।

दूसरों की नज़र तुम देखो,
अपनी नज़रों में गिरा मत करना।

प्यार तुमको मिले जिससे यारों,
तुम कभी उससे जफ़ा मत करना।

वो जो दुश्मन तेरे अपनों का हो,
मिलना चाहे तो मिला मत करना।

जिसके दामन में तेरे आंसू गिरें, 
तू कभी उसको ख़फ़ा मत करना।

गीत/भूलने वाले मुझे याद कर

भूलने वाले मुझे याद कर,भूलने वाले मुझे याद आ।
आ खयालों में मेरे तू आ,मुझको अपने खयालों में ला।

ये तनहाई है मेरी दुश्मन, ये तो तुमको भी सताती होगी;
मैं इधर जब तड़पता हूँ इतना,ये तुम्हें भी तड़पाती होगी;
पास आ तू मेरे पास आ,और तनहाइयों को भगा……..

अब है तुमको मेरी जरूरत, और तू है जरूरत मेरी;
मैं हूँ तेरे हाथ की लकीरें,और तू ही है किस्मत मेरी;
हाथ में हाथ आ तू रख दे और दोनों की किस्मत जगा……

मन से मन तो मिल ही चुके हैं,तन से तन भी आकर मिला ले;
ये मुहब्बत की दुनिया हो रौशन,ऐसी शम्मा तू आकर जला ले;

ये शरम, ये हया छोड़कर;मुझको अपने गले तू लगा……….