Archive for the ‘रोमांटिक’ Category

आप की जब थी जरूरत आप ने धोखा दिया

मित्रों ! एक रचना अपनी आवाज में प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसे आप पहले पढ़ चुके हैं , इस रचना का संगीत-संयोजन भी मैंने किया है | आप से अनुरोध है कि आप मेरे Youtube के Channel पर भी Subscribe और Like करने का कष्ट करें ताकि आप मेरी ऐसी रचनाएं पुन: देख और सुन सकें | आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि आप इस रचना को अवश्य पसंद करेंगे |
इस रचना का असली आनंद Youtube पर सुन कर ही आयेगा, इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप मेरी मेहनत को सफल बनाएं और वहां इसे जरूर सुनें…

                                              सुनिए एक नई आडियो रिकार्डिंग


आप की जब थी जरूरत, आप ने धोखा दिया।
हो गई रूसवा मुहब्बत , आप ने धोखा दिया।


खुद से ज्यादा आप पर मुझको भरोसा था कभी;
झूठ लगती है हकीकत, आप ने धोखा दिया।


दिल मे रहकर आप का ये दिल हमारा तोड़ना;
हम करें किससे शिकायत,आप ने धोखा दिया।


बेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
जिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया।

पार करने वाला माझी खुद डुबोने क्यों लगा;
कर अमानत में खयानत,आप ने धोखा दिया।

A love song-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो

मित्रों ! नववर्ष की पहली सौगात के रूप में यह प्रेमगीत प्रस्तुत कर रहा हूँ | आशा है हमेशा की तरह आप इसे भी पसंद करेंगे…..

इस रचना का असली आनंद Youtube पर सुन कर ही आयेगा, इसलिए आपसे अनुरोध है की आप मेरी मेहनत को सफल बनाएं और वहां इसे जरूर सुनें…

कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो।
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो। 

हर जगह भीड़ है हर जगह लोग हैं,
ऐसी तनहाई मिलती है जल्दी नहीं;
जहाँ कोई न हो जहाँ कोई न हो……..
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो………

बडी़ मुश्किल से फ़ुरसत के पल आते हैं,
होके चुप इन पलों को न जाया करो;
प्यार के इस समुन्दर में आओ बहो……
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो………..

लब अगर बात करने से कतरा रहे,
बात करने की तरकीब यूं सीख लो;
अपनी नज़रों से मेरी नज़र में कहो……
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो…………

अगर गीत पसंद आया तो यूट्यूब पर मुझे जरूर Subscribe और Like करें…

एक प्यार भरा नग़मा- तुमसे कोई गिला नहीं है

आज एक प्यार और दर्द भरी रचना आप के सामने प्रस्तुत है | इस रचना का संगीत-संयोजन भी मैंने किया है |   इस रचना का असली आनंद सुन कर ही आयेगा, इसलिए आपसे अनुरोध है की आप मेरी मेहनत को सफल बनाएं और नीचे दिए गए लिंक पर इसे जरूर सुनें… 
 आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं…

आप से अनुरोध है कि आप मेरे Youtube के Channel पर भी Subscribe और Like करने का कष्ट करें ताकि आप मेरी ऐसी रचनाएं पुन: देख और सुन सकें | आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि आप इस रचना को अवश्य पसंद करेंगे | रिकार्डिंग कर लेने के बाद उच्चारण संबंधी कुछ त्रुटियों की ओर भी  ध्यान गया पर दुबारा रिकार्डिंग करने के बजाय मैंने उसी तरह पोस्ट कर दिया | दरअसल अकेले गायन,वादन, रिकार्डिंग आदि कई काम एक साथ करते समय कई चीजें उस समय ध्यान में नहीं आ पाती, आगे से ध्यान रखूंगा |

              
केवल AUDIO सुनने  के लिए नीचे क्लिक करें-

तुमसे कोई गिला नहीं है।
प्यार हमेशा मिला नहीं है।

कांटे भी खिलते हैं चमन में,
फूल हमेशा खिला नहीं है।

जिसको मंज़िल मिल ही जाए,
ऐसा हर काफ़िला नहीं है।

सदियों से होता आया है,
ये पहला सिलसिला नहीं है।

अनचाही हर चीज मिली है,
जो चाहा वो मिला नहीं है।

देर से तुम इसको समझोगे,
नफ़रत प्यार का सिला नहीं है।

जिस्म का नाजुक हिस्सा है दिल,
ये पत्थर का किला नहीं है।

       आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं…

तू मुझको याद रखना/pbchaturvedi

यह पूर्वप्रकाशित रचना पहले भी 2009 में  मैं अपने ब्लाग पर डाल चुका हूँ । हालांकि आडियो क्वालिटी इतनी अच्छी नहीं है क्योंकि यह मोबाइल से रिकार्ड किया गया है आज इस पूर्वप्रकाशित रचना को यहाँ लिखकर और अपनी आवाज़ में प्रस्तुत कर रहा हूँ…

तू मुझको याद रखना, मेरी बात याद रखना।
गुजरे जो खूबसूरत, लम्हात याद रखना।

बादल बरसने वाले, आँखों में जब भी छाए;
मेरे साथ भींगने की, बरसात याद रखना।

तुमसे जुदा हो जाऊं, मैं कब ये चाहता था;
काबू में नहीं होते, हालात याद रखना।

ग़मगीन तुम न होना, कभी इन जुदाइयों से;
मैं हूँ तुम्हारे दिल में तेरे साथ याद रखना।

नहीं आ सकूंगा मैं तो, तेरे पास ग़म न करना,
तू अपने मुहब्बत की, सौगात याद रखना।

मेंहदी लगी न तुझको, सेहरा न मैंने बाँधा;
तो क्या हुआ यादों की, बारात याद रखना।

आप आवाज़ यहाँ सुन सकते हैं…
तू मुझको याद रखना/pbchaturvedi/Audio 

आप यू-ट्यूब पर यहाँ सुन सकते हैं…

एक रोमांटिक रचना/सुनने के लिए है न सुनाने के लिए है

प्रस्तुत है एक रोमांटिक रचना जिसे मैं पहले भी पोस्ट कर चुका हूँ पर इस बार अपनी आवाज़ में इसे प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है आप को ये रचना अवश्य भायेगी….
अपनी ये रचना मैं स्वर्गीय मोहम्मद सलीम राही को समर्पित करता हूँ जो आकाशवाणी वाराणसी में कार्यरत थे और एक अच्छे शायर थे। उन्होंने मेरी ग़ज़लों को बहुत सराहा और ये रचना उन्हें बहुत अच्छी लगती थी। इसको उन्हीं की वजह से सेतु [ एक संस्था जिसमें संगीतमय प्रस्तुति होती थी ] में शामिल किया गया था और इसे वहाँ ambika keshari ने अपनी आवाज़ दी थी।
                                                  यू-ट्यूब पर सुनने के लिये यहाँ क्लिक करें-

  
आडियो सुनने के लिये यहाँ क्लिक करें-
http://www.divshare.com/download/21387297-0f7

सुनने के लिए है न सुनाने के लिए है ।
ये बात अभी सबसे छुपाने के लिए है ।

दुनिया के बाज़ार में बेचो न इसे तुम ,
ये बात अभी दिल के खजाने के लिए है ।

इस बात की चिंगारी अगर फ़ैल गयी तो ,
तैयार जहाँ आग लगाने के लिए है ।

आंसू कभी आ जाए तो जाहिर न ये करना ,
ये गम तेरा मुझ जैसे दीवाने के लिए है ।

होता रहा है होगा अभी प्यार पे सितम ,
ये बात जमानों से ज़माने के लिए है ।

तुम प्यार की बातों को जुबां से नहीं कहना ,
ये बात निगाहों से बताने के लिए है ।

भूलने वाले मुझे याद कर

ब्लागजगत के सभी नये -पुराने साथियों को नमस्कार। कहीं आप मुझे भूल तो नहीं गये। अगर ऐसा है तो …………

भूलने वाले मुझे याद कर, भूलने वाले मुझे याद आ।
तू मेरे दिल में बस कर, मुझे पने दिल में बसा।


ये जो तनहाई है मेरी दुश्मन ये तुमको भी सताती होगी,
मैं इधर जब तड़पता हूँ इतना ये तुमको भी तड़पाती होगी,
अब यही तू इक उपाय कर और तनहाइयों को भगा………


है तुमको भी मेरी जरूरत और तू भी जरूरत है मेरी,
मैं हूँ तेरे हाथ की लकीरें और तू ही किस्मत है मेरी,
हाथ में हाथ फिर रख दे और सोई किस्मत को जगा……


बाकी पंक्तियाँ आप के कमेन्ट्स के बाद………..

प्यार तब और बढ़ा

मित्रों!अपने तीन ब्लाग मेरी गज़लें,मेरे गीत और रोमांटिक रचनायें को इस एक ही ब्लाग में समेटने के बाद मैंने रोमांटिक रचनायें कम ही पोस्ट की है । इस बार एक गीत प्रस्तुत है-


प्यार तब और बढ़ा और बढ़ा और बढ़ा,
जब लगाये गये पहरे प्यार के ऊपर…..

कोई अनारकली दीवार में चुनवाई गई,
कोई लैला कहीं यूं ही तड़पाई गई,
यूं सरेआम जमाने में रुसवाई हुई,
सितम जो ढाए गए कर सके कोई असर
प्यार तब और बढ़ा और बढ़ा और बढ़ा…..

कहीं पे कैस कोई प्यार में दीवाना हुआ,
कहीं रांझा कोई हीर का निशाना हुआ,
और हर प्यार के खिलाफ़ ये जमाना हुआ,
मर गये इश्क के मारे ये सितम सहसह कर
प्यार तब और बढ़ा और बढ़ा और बढ़ा……..

कैसे कह दें प्यार नहीं है

अब कुछ प्यार की बात भी हो जाए…है न…


कैसे कह दें प्यार नहीं है।
हम पत्थरदिल यार नहीं हैं।

अपनी बस इतनी मजबूरी,
होता बस इज़हार नहीं है।

मिलने का कुछ कारण होगा,
ये मिलना बेकार नहीं है।

तुम मुझको अच्छे लगते हो,
अब इससे इनकार नहीं है।

कुछ लोगों से मन मिलता है,
इससे क्या गर यार नहीं हैं।

तुम फूलों सी नाजुक हो तो,
हम भौरें हैं खा़र नहीं है।

क्या मेरे दिल में रह लोगे,
बंगला,मोटरकार नहीं है।

तनहा-तनहा जीना मुश्किल,
संग तेरे दुश्वार नहीं है।

हुश्न की नैया डूबी-डूबी,
इश्क अगर पतवार नहीं है।

मैं तबतक साधू रहता हूँ,
जबतक आँखें चार नहीं हैं ।

कृपया बनारस के कवि/शायर,समकालीन ग़ज़ल [पत्रिका] में नई ग़ज़लें जरूर देंखे …और टिप्पणी भी दें…

बात करते हैं हम मुहब्बत की

बात करते हैं हम मुहब्बत की,और हम नफ़रतों में जीते हैं ।
खामियाँ गैर की बताते हैं ,खुद बुरी आदतों में जीते हैं ।

सबको आगे आगे जाना है,तेज रफ़्तार जिन्दगी की हुई;
भागते दौड़ते जमाने में, हम बडी़ फ़ुरसतों में जीते हैं ।

आज तो ग़म है बेबसी भी है,जिन्दगी कट रही है मुश्किल से;
आने वाला पल अच्छा होगा , हम इन्हीं हसरतों में जीते हैं ।

आज के दौर मे जीना है कठिन,और मरना बडा़ आसान हुआ;
कामयाबी बडी़ हमारी है , जो ऐसी हालतों में जीते हैं ।

मिट्टी लगती है जो भी चीज मिली,जो भी पाया नहीं वो सोना लगा; 
जो हमें चीज मिल नहीं सकती ,हम उन्हीं चाहतों में जीते हैं

कृपया बनारस के कवि/शायर, समकालीन ग़ज़ल [पत्रिका] में नई ग़ज़लें 
जरूर देंखे … और टिप्पणी भी दें...

मुझे तनहाइयां भाती नहीं है

मुझे तनहाइयां भाती नहीं हैं। 
मैं तन्हा हूँ तू क्यों आती नहीं है।

तुझे ना देख लें जबतक ये नज़रें,
सुकूं पल भर भी ये पाती नहीं है।

गये हो दूर तुम जबसे यहाँ से,
बहारें भी यहाँ आती नहीं है।

तराने गूंजते थे कल तुम्हारे,
वहाँ कोयल भी अब गाती नहीं है।

तुझे अपना बनाना चाहता था,
कसक दिल की अभी जाती नहीं है।

शिकायत है यही किस्मत से अपने,
मुझे ये तुमसे मिलवाती नहीं है।


कृपया बनारस के कवि/शाय,समकालीन ग़ज़ल [पत्रिका] में नई ग़ज़लें जरूर देंखे …