Archive for the ‘भजन’ Category

भजन :- जय जय जय हे दुर्गे देवी

नवरात्रि के अवसर पर  दुर्गा जी का एक भजन प्रस्तुत कर रहा हूँ | आप इसे सुनें और भक्ति में डूब जाएँ……

आप सभी को रामनवमी की शुभकामनायें…..

भजन/मन की बात समझने वाले

अब मैनें अपने सभी निजी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी में पिरो दिया है।दरअसल मैं चाहता हूँ कि आप मेरी हर रचना देंखें परन्तु सभी दर्शकगण और पाठक अलग-अलग ब्लाग्स पर सभी रचनाएं नहीं पढ़ पाते थे।मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ के सभी अनुसरणकर्ता बन्धुओं और मित्रों से अनुरोध है कि वे मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ पर से अनुसरण हटा लें और मेरे इस ब्लाग मेरी ग़ज़लें, मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी‘ का एक बार पुनः अनुसरण कर लें;असुविधा के लिये क्षमा प्रार्थी हूँ।नवरात्रि के शुभ अवसर पर एक भजन प्रस्तुत है….

मन की बात समझने वाले, तुमको भला मैं क्या बतलाऊँ।
मैं तो तेरे दर पे खडा़ हूँ, इच्छा पूरी कर दो जाऊँ।


मिट्टी का तन मैंने पाया,
मिट्टी को कंचन से सजाया,
ज्यादा खोया कम ही पाया,
इसी भरम में जन्म गंवाया,
बीत गई है उम्र ये जैसे,अब ना बाकी उम्र गंवाऊँ…


मंदिर में बस आये-जाये,
मन पर पाप का मैल चढा़ये,
भक्त ये प्रभु को भी बहकाये,
लड्डू-पेड़ों से बहलाये,
सारी सृष्टि रचने वाले,मैं क्या तुमको भोग लगाऊँ…

भजन/दर्शन दो प्रभु कबसे खड़े हैं

आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मैं अपना लिखा एक भजन प्रस्तुत कर रहा हूँ…..

दर्शन दो प्रभु कबसे खड़े हैं।
हम भारी विपदा में पड़े हैं।

कोई नहीं प्रभु-सा रखवाला,
मेरे कष्ट मिटाने वाला,
जीवन में कर दीजै उजाला;
आप दयालू नाथ बड़े हैं…….

झूठी माया झूठी काया,
लेकर मैं दुनिया में आया,
दुनिया में है पाप समाया;
भरते पाप के रोज़ घड़े हैं……..

पाप हटे मिट जाये बुराई,
सबमें पडे़ प्रभु आप दिखाई,
इच्छाओं ने दौड़ लगाई;
कितनी गहरी मन की जड़े है…….