एक ग़ज़ल [ \”फाइलातुन मुफ़ाइलुन फेलुन\” पर आधारित ] प्रस्तुत कर रहा हूँ | आशा है आप अवश्य पसंद करेंगे……. 

ये भला क्यों कभी नहीं होता |
हर कोई आदमी नहीं होता |

कुछ गलत लोग भी तो होते हैं,
हर कोई तो सही नहीं होता |

जो न सोचा वो बात होती है,
जो भी सोचा वही नहीं होता |

दिल को भी देख लो जरा उसके,
सिर्फ चेहरा हसीं नहीं होता |

क्यों गलत बात को सही कह दें,
हमसे तो बस यही नहीं होता |

कुछ न कुछ की कमी सभी को है,
क्यों कोई भी धनी नहीं होता |

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