मित्रों ! एक रचना अपनी आवाज में प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसे आप पहले पढ़ चुके हैं , इस रचना का संगीत-संयोजन भी मैंने किया है | आप से अनुरोध है कि आप मेरे Youtube के Channel पर भी Subscribe और Like करने का कष्ट करें ताकि आप मेरी ऐसी रचनाएं पुन: देख और सुन सकें | आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि आप इस रचना को अवश्य पसंद करेंगे |
इस रचना का असली आनंद Youtube पर सुन कर ही आयेगा, इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप मेरी मेहनत को सफल बनाएं और वहां इसे जरूर सुनें…

                                              सुनिए एक नई आडियो रिकार्डिंग


आप की जब थी जरूरत, आप ने धोखा दिया।
हो गई रूसवा मुहब्बत , आप ने धोखा दिया।


खुद से ज्यादा आप पर मुझको भरोसा था कभी;
झूठ लगती है हकीकत, आप ने धोखा दिया।


दिल मे रहकर आप का ये दिल हमारा तोड़ना;
हम करें किससे शिकायत,आप ने धोखा दिया।


बेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
जिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया।

पार करने वाला माझी खुद डुबोने क्यों लगा;
कर अमानत में खयानत,आप ने धोखा दिया।

Comments on: "आप की जब थी जरूरत आप ने धोखा दिया" (38)

  1. बहुत खूब..सुंदर प्रस्तुति..

  2. वाह! बहुत सुंदर प्रस्तुति, अच्छी रचना…

  3. खुबसूरत गजल लिखा आपने ,धन्यवाद

  4. दिल में रहकर आप का ये दिल हमारा तोडना ..
    बहुत सुन्दर भाव …काश लोग एक दूजे के दिलों को समझें …
    भ्रमर ५

  5. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल .. मुश्किल होती हैं ऐसी गजलें लिखना …
    मेरी दाद कबूल करें …

  6. बहुत खुबसुरत गजल

  7. बहुत सुन्दर गजल ..

  8. बहुत ही उम्दा…

  9. बहुत सुन्दर ग़ज़ल

  10. सुन्दर प्रस्तुति। बधाई।।।

  11. बहुत सुन्दर मित्र।
    चर्चा में लेने के लिए मजबूर हैं।
    आपका मैटर सलेक्ट नहीं होता है।
    इसका ताला खोलिए मान्यवर।

  12. बधाई भाई ,
    बेहद खूबसूरत ग़ज़ल , गुनगुनाने लायक !

  13. This comment has been removed by the author.

  14. बहुत ही खूबसूरत और सुन्दर प्रस्तुति !!

  15. सुन्दर प्रस्तुति !!

  16. प्रारम्भ में तो “आपकी आँखों में कुछ महके हुए…” की झलक लगी बाद में अलग ..। अच्छा प्रयास है ।

  17. bahut khoob gazal aur sangeet dono
    badhai
    rachana

  18. बेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
    जिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया।

    Bahut khoob !

  19. क्या बात है …….बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !!

  20. सुन्दर धुन में पिरोया है आपने रचना को. पर आप पर विश्वास रखिये. भविष्य में अच्छा ही देखने को मिलेगा.

  21. आप किस “आप” की बात कर रहे हैं ? ये रचना बहुत पुरानी है और पहले भी मेरे ब्लॉग पर आ चुकी है….

  22. वाह जी !
    साज-बाज के साथ अच्छा प्रस्तुतिकरण है…

    बधाई !

  23. बहुत सुंदर,प्रश्न ही उत्तर बन गये.
    यहां धोखा है—मिट्टी की महक,बरसाती बूंदे—बस अपने को सभांले रखिये!

  24. वाह! बहुत खूब संगीत संयोजन और ग़ज़ल भी बढ़िया.

  25. This comment has been removed by a blog administrator.

  26. अल्पना जी, सुझाव के लिए धन्यवाद | आगे रिकार्डिंग में मैं इन बातों और बीट्स के वाल्यूम का ध्यान रखूंगा……

  27. क्या बात है…बहुत उम्दा!! आनन्द आया.

  28. शुक्रिया प्रसन्न जी.

  29. प्रसन्न बदन जी ,कभी मेरे गीत भी इस ब्लॉग पर सुनियेगा और अपनी राय दिजीयेगा .
    प्रसन्नता होगी .
    http://merekuchhgeet.blogspot.ae/2014/05/blog-post_28.html
    आभार

  30. बहुत ही खूबसूरत और सुन्दर प्रस्तुति !!

  31. बेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
    जिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया।
    क्या बात है !

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