अब कुछ प्यार की बात भी हो जाए…है न…
कैसे कह दें प्यार नहीं है।
हम पत्थरदिल यार नहीं हैं।
अपनी बस इतनी मजबूरी,
होता बस इज़हार नहीं है।
मिलने का कुछ कारण होगा,
ये मिलना बेकार नहीं है।
तुम मुझको अच्छे लगते हो,
अब इससे इनकार नहीं है।
कुछ लोगों से मन मिलता है,
इससे क्या गर यार नहीं हैं।
तुम फूलों सी नाजुक हो तो,
हम भौरें हैं खा़र नहीं है।
क्या मेरे दिल में रह लोगे,
बंगला,मोटरकार नहीं है।
तनहा-तनहा जीना मुश्किल,
संग तेरे दुश्वार नहीं है।
हुश्न की नैया डूबी-डूबी,
इश्क अगर पतवार नहीं है।
मैं तबतक साधू रहता हूँ,
जबतक आँखें चार नहीं हैं ।
कृपया बनारस के कवि/शायर,समकालीन ग़ज़ल [पत्रिका] में नई ग़ज़लें जरूर देंखे …और टिप्पणी भी दें…
Comments on: "कैसे कह दें प्यार नहीं है" (90)
सुंदर सहज रचना है, बधाई!
सुंदर सहज रचना है, बधाई!
बहुत खुब, बहुत हू सुन्दर रचना। लाजवाब। बधाई
बहुत खुब, बहुत हू सुन्दर रचना। लाजवाब। बधाई
aakhri sher khas taur se achchha laga…waah!
aakhri sher khas taur se achchha laga…waah!
सभी शेर लाजवाब हैं बधाई।
सभी शेर लाजवाब हैं बधाई।
सुन्दर रचना .. | अंतिल पंगती तो कमाल का लिखा है |
सुन्दर रचना .. | अंतिल पंगती तो कमाल का लिखा है |
कितनी खूबसूरत भीनी-भीनी सी खुशबूदार ग़ज़ल..एक-एक शेर लाजवाब..फूल से कोमल और सजीले अहसासों को अश’आरों की पनाह मे लाये हैं आप..बधाई
कितनी खूबसूरत भीनी-भीनी सी खुशबूदार ग़ज़ल..एक-एक शेर लाजवाब..फूल से कोमल और सजीले अहसासों को अश’आरों की पनाह मे लाये हैं आप..बधाई
यह शेर खास लगे..कैसे कह दें प्यार नहीं है।हम पत्थरदिल यार नहीं हैं।अपनी बस इतनी मजबूरी,होता बस इज़हार नहीं है।क्या मेरे दिल में रह लोगे,बंगला,मोटरकार नहीं है।
यह शेर खास लगे..
कैसे कह दें प्यार नहीं है।
हम पत्थरदिल यार नहीं हैं।
अपनी बस इतनी मजबूरी,
होता बस इज़हार नहीं है।
क्या मेरे दिल में रह लोगे,
बंगला,मोटरकार नहीं है।
सुन्दर रचना है—Carbon Nanotube As Ideal Solar Cell
सुन्दर रचना है
—
Carbon Nanotube As Ideal Solar Cell
रचना बेहद प्यारी लगी . आनंद आ गया बधाई .
रचना बेहद प्यारी लगी . आनंद आ गया बधाई .
shabdo ka chayan bahut sundar hai…ese saadhu vaad ko namaskar…
shabdo ka chayan bahut sundar hai…ese saadhu vaad ko namaskar…
सरल सहज शब्दों में प्रेम भाव और किंचित भय को भी को प्रस्तुत कर दिया है ..बहुत शुभकामनायें ..!!
सरल सहज शब्दों में प्रेम भाव और किंचित भय को भी को प्रस्तुत कर दिया है ..
बहुत शुभकामनायें ..!!
बहुत खुब, लाजवाब !
बहुत खुब, लाजवाब !
क्या कहने है भाई प्रसन्न वादन जी .तभी तक साधू हूँ जब तक आँखे चार नहीं है ,मज़ा आगया ,आपकी इस बात से मैं साधू नहीं हूँ तो भी मज़ा आया और साधू होता तो भी मज़ा आता |हम भवरे हैं खार नहीं है ,हमारे पास बंगला मोटरकार नहीं है ,फिर भी पत्थर दिल नहीं है ,अरे ! ये तो व्यंग्य हो गया | अपनी बस इतनी {मजबूरी }{कमजोरी }होता बस इजहार नहीं है | बहुत सादा सुंदर और ….रचना |
क्या कहने है भाई प्रसन्न वादन जी .तभी तक साधू हूँ जब तक आँखे चार नहीं है ,मज़ा आगया ,आपकी इस बात से मैं साधू नहीं हूँ तो भी मज़ा आया और साधू होता तो भी मज़ा आता |हम भवरे हैं खार नहीं है ,हमारे पास बंगला मोटरकार नहीं है ,फिर भी पत्थर दिल नहीं है ,अरे ! ये तो व्यंग्य हो गया | अपनी बस इतनी {मजबूरी }{कमजोरी }होता बस इजहार नहीं है | बहुत सादा सुंदर और ….रचना |
बहुत अच्छी गज़ल यह शेर तो वर्षों तक लोगों के अधरों पर राज करेगा—मैं तब तक साधू रहता हूँजब तक आँखें चार नहीं है।–बधाई ।००००देवेन्द्र पाण्डेय।
बहुत अच्छी गज़ल
यह शेर तो वर्षों तक लोगों के अधरों पर राज करेगा—
मैं तब तक साधू रहता हूँ
जब तक आँखें चार नहीं है।
–बधाई ।
००००देवेन्द्र पाण्डेय।
shukria.banaaras ke kavi. samkaleen gazal aur aapki gazalein sabhi qaabile-taareef hain.
shukria.
banaaras ke kavi. samkaleen gazal aur aapki gazalein sabhi qaabile-taareef hain.
yah aap ne achchha kiya ki ek hi blog par apni sabhi rachnaon ko le aaye.अपनी बस इतनी मजबूरी,होता बस इज़हार नहीं है।lekin-bahut hi sundar tareeke se izhaaar is gazal mein kar hi diya.-sundar saral lay mein bahati gazal.
yah aap ne achchha kiya ki ek hi blog par apni sabhi rachnaon ko le aaye.
अपनी बस इतनी मजबूरी,
होता बस इज़हार नहीं है।
lekin-
bahut hi sundar tareeke se izhaaar is gazal mein kar hi diya.
-sundar saral lay mein bahati gazal.
मैं तब तक साधू रहता हूँजब तक आँखें चार नहीं है।प्रसन्न जी, तबियत खुश कर दी आपने तो ज़माने को ज़माने की सच्चाई बता कर.छोटे बहर की बेहतरीन ग़ज़ल.हार्दिक बधाई.चन्द्र मोहन गुप्तजयपुरwww.cmgupta.blogspot.com
मैं तब तक साधू रहता हूँ
जब तक आँखें चार नहीं है।
प्रसन्न जी, तबियत खुश कर दी आपने तो ज़माने को ज़माने की सच्चाई बता कर.
छोटे बहर की बेहतरीन ग़ज़ल.
हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
http://www.cmgupta.blogspot.com
अपनी बस इतनी मजबूरी,होता बस इज़हार नहीं है………KHOOBSOORAT GAZAL AUR MAASOOM SA IZHAAR … KYA KHOOB LIKHA HAI … BADHAAI
अपनी बस इतनी मजबूरी,
होता बस इज़हार नहीं है………
KHOOBSOORAT GAZAL AUR MAASOOM SA IZHAAR … KYA KHOOB LIKHA HAI … BADHAAI
बहुत बढ़िया , मेरे दिल की बात आप के लिए मन की अभिलाशाओ का दीप जला कर आपने सब को उस के परकाश को दिखा दिया , डूबा हुआ था मेरा मन न जाने किस की याद मे , आप ने जीना फिर दोबारा से मुझे सिखा दिया ……
बहुत बढ़िया , मेरे दिल की बात आप के लिए
मन की अभिलाशाओ का दीप जला कर आपने सब को उस के परकाश को दिखा दिया ,
डूबा हुआ था मेरा मन न जाने किस की याद मे ,
आप ने जीना फिर दोबारा से मुझे सिखा दिया ……
सहज सरल शब्दों में गहन अभिव्यक्ति की कविता !
सहज सरल शब्दों में गहन अभिव्यक्ति की कविता !
khoobsurat bhawnaon se saji gazal
khoobsurat bhawnaon se saji gazal
prem ka ijhar karti sundar gajal.abhar
prem ka ijhar karti sundar gajal.
abhar
Aapke sabhee gazlon/nagmon me ek zabadast kashish hai!
Aapke sabhee gazlon/nagmon me ek zabadast kashish hai!
मैं तब तक साधू रहता हूँजब तक आँखें चार नहीं है।… bahut khoob !!!!
मैं तब तक साधू रहता हूँ
जब तक आँखें चार नहीं है।
… bahut khoob !!!!
khubsurat ehsaas hain jinh aapne shabd diye hain……..
khubsurat ehsaas hain jinh aapne shabd diye hain……..
कुछ लोगों से मन मिलता है,इससे क्या गर यार नहीं हैं।बहुत अच्छा शेर लगा बधाई!!
कुछ लोगों से मन मिलता है,
इससे क्या गर यार नहीं हैं।
बहुत अच्छा शेर लगा बधाई!!
शुरू से अंत तक वो लय आपने कायम रखी।
शुरू से अंत तक वो लय आपने कायम रखी।
उसके बिन सब सूना है गीतों में झंकार नहीं है बिन उसके जो बज उठता मन वीणा का तार नहीं है उल्टा सीधा लिख देता है कोई रचनाकार नहीं है वो जो पढ़ के हंस देतीतो तुकबंदी बेकार नहीं है आपकी गजल तो हमारे मन को भी छू गयी..पढ़ते पढ़ते ही चार पंक्तिया लय में आगई तो आपको टिप्पणी के माध्यम से समर्पित है..बहुत अच्छी रचना ..मन के भावो को जागृत करने वाली…
उसके बिन सब सूना है
गीतों में झंकार नहीं है
बिन उसके जो बज उठता
मन वीणा का तार नहीं है
उल्टा सीधा लिख देता है
कोई रचनाकार नहीं है
वो जो पढ़ के हंस देती
तो तुकबंदी बेकार नहीं है
आपकी गजल तो हमारे मन को भी छू गयी..पढ़ते पढ़ते ही चार पंक्तिया लय में आगई तो आपको टिप्पणी के माध्यम से समर्पित है..बहुत अच्छी रचना ..मन के भावो को जागृत करने वाली…
सहज और सुंदर अभिव्यक्ति…काफ़ी संभावनाएं हैं…शुक्रिया….
सहज और सुंदर अभिव्यक्ति…
काफ़ी संभावनाएं हैं…
शुक्रिया….
सबसे पहले, मै इतनी सुंदर रचना के लिए बधाई दूंगा। महज इस रचना के लिए ही नही बल्कि सारी रचनायें लाजवाब है। मेरी सुभकामनाये आपकी आनेवाली रचनाओं के लिए भी है।
सबसे पहले, मै इतनी सुंदर रचना के लिए बधाई दूंगा। महज इस रचना के लिए ही नही बल्कि सारी रचनायें लाजवाब है। मेरी सुभकामनाये आपकी आनेवाली रचनाओं के लिए भी है।
एक अनूठी ग़ज़ल चतुर्वेदी जी…आखिरी शेर के अंदाज़े-बयां ने मन मोह लिया!
एक अनूठी ग़ज़ल चतुर्वेदी जी…
आखिरी शेर के अंदाज़े-बयां ने मन मोह लिया!
prasnn ji man prasnn ho gaya padhkar .aakhri line vyang ki put liye bhi nazar aai .poori rachana mazedar rahi .
prasnn ji man prasnn ho gaya padhkar .aakhri line vyang ki put liye bhi nazar aai .poori rachana mazedar rahi .
कैसे कह दें प्यार नहीं है।हम पत्थरदिल यार नहीं हैं।shukria
कैसे कह दें प्यार नहीं है।
हम पत्थरदिल यार नहीं हैं।
shukria
Ye aachcha kiya aapne ..thoda mushkil hota hai kaii blogs open karne main….क्या मेरे दिल में रह लोगे,बंगला,मोटरकार नहीं है।तनहा-तनहा जीना मुश्किल,संग तेरे दुश्वार नहीं है।Bahut sundar dil se nikle bhav..!!!
Ye aachcha kiya aapne ..thoda mushkil hota hai kaii blogs open karne main….
क्या मेरे दिल में रह लोगे,
बंगला,मोटरकार नहीं है।
तनहा-तनहा जीना मुश्किल,
संग तेरे दुश्वार नहीं है।
Bahut sundar dil se nikle bhav..!!!
क्या मेरे दिल में रह लोगे,बंगला,मोटरकार नहीं है।शायरी को नए मुकाम तक पहुँचाने में आप जो प्रयास कर रहे हैं वो कबीले दाद है…बहुत अच्छी ग़ज़ल है और जो आपने प्रयोग किये हैं वो इसे और भी खूबसूरत बना रहे हैं…वाह.नीरज
क्या मेरे दिल में रह लोगे,
बंगला,मोटरकार नहीं है।
शायरी को नए मुकाम तक पहुँचाने में आप जो प्रयास कर रहे हैं वो कबीले दाद है…बहुत अच्छी ग़ज़ल है और जो आपने प्रयोग किये हैं वो इसे और भी खूबसूरत बना रहे हैं…वाह.
नीरज
अच्छी लगी,.सीधी उतरती हुई.
अच्छी लगी,.सीधी उतरती हुई.
क्या मेरे दिल में रह लोगे,बंगला,मोटरकार नहीं है।मैं तबतक साधू रहता हूँ,जबतक आँखें चार नहीं हैं । अद्भुत पंक्तियाँ. आनंदमयी. आभार
क्या मेरे दिल में रह लोगे,
बंगला,मोटरकार नहीं है।
मैं तबतक साधू रहता हूँ,
जबतक आँखें चार नहीं हैं ।
अद्भुत पंक्तियाँ. आनंदमयी.
आभार
मैं तबतक साधू रहता हूँ,जबतक आँखें चार नहीं हैं । बहुत खूब — क्या बात कह दी. बहुत प्यारी रचना
मैं तबतक साधू रहता हूँ,
जबतक आँखें चार नहीं हैं ।
बहुत खूब — क्या बात कह दी.
बहुत प्यारी रचना
बहुत उम्दा रचना है. बहुत पसंद आई.
बहुत उम्दा रचना है. बहुत पसंद आई.
बहुत खूब्।आपका ब्लाग खोलने पर पेज नही खुल रहा है, चेक कर लिजिये प्लीज़्।
बहुत खूब्।आपका ब्लाग खोलने पर पेज नही खुल रहा है, चेक कर लिजिये प्लीज़्।
brilliance par excellence….
brilliance par excellence….
मैं तब तक साधू रहता हूँजब तक आँखें चार नहीं है।मुझे ये तो बहुत पसन्द आई. बधाई.
मैं तब तक साधू रहता हूँ
जब तक आँखें चार नहीं है।
मुझे ये तो बहुत पसन्द आई. बधाई.
पंडित जी सच बेहतरीन रचना है साधु-साधु
पंडित जी
सच बेहतरीन रचना है
साधु-साधु
सहज aur लाजवाब शेर!
सहज aur लाजवाब शेर!
आंखें चार होते ही साधू से बन जाओगे स्वादुहमको आपको ऐसी मुमकिन लगती दरकार नहीं है
आंखें चार होते ही साधू से बन जाओगे स्वादु
हमको आपको ऐसी मुमकिन लगती दरकार नहीं है