आज मैं अपनी वह रचना आप के लिये प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसे राग यमन में श्रीमती अर्चना शाही ने अपनी आवाज़ दी थी…आशा है आप इसे अवश्य पसन्द करेंगे…..


आंधियाँ भी चले और दिया भी जले ।
होगा कैसे भला आसमां के तले ।

अब भरोसा करें भी तो किस पर करें,
अब तो अपना ही साया हमें ही छले ।

दिन में आदर्श की बात हमसे करे,
वो बने भेड़िया ख़ुद जंहा दिन ढले ।

आवरण सा चढ़ा है सभी पर कोई,
और भीतर से सारे हुए खोखले ।

ज़िन्दगी की खुशी बांटने से बढ़े ,
तो सभी के दिलों में हैं क्यों फासले ।

कुछ बुरा कुछ भला है सभी को मिला ,
दूसरे की कोई बात फ़िर क्यों खले ।

Comments on: "आंधियाँ भी चले और दिया भी जले" (22)

  1. प्रसन्न जी , आपकी लम्बी टिप्पणी के आवाज में एक लम्बी ही प्रतिक्रिया लिख फिर डिलीट कर दी …..आपकी बात का जवाब तो आपकी गजल ये शे'र ही दे रहा है …..आंधियाँ भी चले और दिया भी जले ।होगा कैसे भला आसमां के तले ।दोनों एक साथ नहीं रह सकते ….!!

  2. प्रसन्न जी ,

    आपकी लम्बी टिप्पणी के आवाज में एक लम्बी ही प्रतिक्रिया लिख फिर डिलीट कर दी …..आपकी बात का जवाब तो आपकी गजल ये शे'र ही दे रहा है …..

    आंधियाँ भी चले और दिया भी जले ।
    होगा कैसे भला आसमां के तले ।

    दोनों एक साथ नहीं रह सकते ….!!

  3. आवरण सा चढ़ा है सभी पर कोई,और भीतर से सारे हुए खोखले ।बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाईश्याम सखा श्याम

  4. आवरण सा चढ़ा है सभी पर कोई,
    और भीतर से सारे हुए खोखले ।
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई
    श्याम सखा श्याम

  5. दिन में आदर्श की बात हमसे करे,वो बने भेड़िया ख़ुद जंहा दिन ढले ….ghalib saab ke ek sher ki yaad aa gayee….bahut achha likha hai aapne

  6. दिन में आदर्श की बात हमसे करे,
    वो बने भेड़िया ख़ुद जंहा दिन ढले ….ghalib saab ke ek sher ki yaad aa gayee….bahut achha likha hai aapne

  7. आवरण सा चढ़ा है सभी पर कोई,और भीतर से सारे हुए खोखले ।Ek dam naye andaaz ka sher kaha hai aapne is khoobsurat ghazal men…bahut bahut badhaaii…Neeraj

  8. आवरण सा चढ़ा है सभी पर कोई,
    और भीतर से सारे हुए खोखले ।

    Ek dam naye andaaz ka sher kaha hai aapne is khoobsurat ghazal men…bahut bahut badhaaii…
    Neeraj

  9. आंधियाँ भी चले और दिया भी जले ।होगा कैसे भला आसमां के तले khoobsurat raha ye sher..bhaav yatharth_parak hai…

  10. आंधियाँ भी चले और दिया भी जले ।
    होगा कैसे भला आसमां के तले

    khoobsurat raha ye sher..
    bhaav yatharth_parak hai…

  11. बहुत पसंद आई यह गज़ल. सुनवाते भी तो आनन्द आता.

  12. बहुत पसंद आई यह गज़ल. सुनवाते भी तो आनन्द आता.

  13. bahut hi gajab ki rachna hai choubeji……..

  14. bahut hi gajab ki rachna hai choubeji……..

  15. दिन में आदर्श की बात हमसे करे,वो बने भेड़िया ख़ुद जंहा दिन ढले। अति सुन्दर !!!

  16. दिन में आदर्श की बात हमसे करे,
    वो बने भेड़िया ख़ुद जंहा दिन ढले।
    अति सुन्दर !!!

  17. uttam "आवरण सा चढ़ा है सभी पर कोई,और भीतर से सारे हुए खोखले ।"

  18. uttam “आवरण सा चढ़ा है सभी पर कोई,
    और भीतर से सारे हुए खोखले ।”

  19. जबरदस्त मतला…अहा!

  20. जबरदस्त मतला…अहा!

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